यहां प्रसाद के रूप में मिलती है हरियाली, विदेशों तक जाती है मंदिर के हवन-यज्ञ की भभूत
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    यहां प्रसाद के रूप में मिलती है हरियाली, विदेशों तक जाती है मंदिर के हवन-यज्ञ की भभूत

    देवभूमी उत्तरांचल के श्रीनगर गढ़वाल से 18 कि.मी की दूरी पर स्थित श्री राज राजेेश्वरी सिद्धपीठ मंदिर के हैं जहां प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं को हरियाली प्रदान की जाती है।
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    यहां प्रसाद के रूप में मिलती है हरियाली, विदेशों तक जाती है मंदिर के हवन-यज्ञ की भभूत

    बताया जाता है इस प्राचीन मंदिर में केवल नवरात्रों के दौरान ही नहीं बल्कि वर्षभर लोग पहुंचते रहते हैं।
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    यहां प्रसाद के रूप में मिलती है हरियाली, विदेशों तक जाती है मंदिर के हवन-यज्ञ की भभूत

    धन, वैभव, योग तथा मोक्ष की देवी श्री राज राजश्वेरी माता का सिद्धपीठ घने जंगलों के बीचो-बीच स्थित है। लोगों द्वारा बताया जाता है कि प्राचीन समय से पूज्य देवी राज राजेश्वरी की उस समय के कई राजाओं-महाराजाओं की कुल देवी रह चुकी हैं।
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    जिस तरह प्राचीन समय में भी इनके अनेकों अनन्य भक्त थे ठीक उसी तरह वर्तमान समय में भी इनकेे भक्तों की गिनती में कोई कमी नहीं है।
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    बल्कि भक्तों की अटूट आस्था का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि न केवल देश में बल्कि विदेशों तक इस मंदिर में होने वाले यज्ञ आदि की भभूत पोस्ट ऑफिस के द्वारा भेजी जाती है। बता दें राज राजेश्वरी देवी को स्वयं माता भगवती का ही रूप कहा गया हैै।
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    कहा जाता अन्य मंदिरों से यह मंदिर भिन्न इसलिए माना जाता है क्योंकि देवी राज राजेश्वरी मंदिर में निवास नहीं करती। बल्कि यहां मां मंदिर के बजाय पठाल से बने घर में निवास करती हैं।
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    यहां प्रसाद के रूप में मिलती है हरियाली, विदेशों तक जाती है मंदिर के हवन-यज्ञ की भभूत

    मंदिर की मूर्ति और यंत्र भवन में रखे गए हैं। रोजाना यहां परंपरा के अनुसार विशेष पूजा, पाठ, हवन किया जाता है।