यहां मंदिर की मूर्ति में नहीं बल्कि पावन ग्रंथ में है श्री कृष्ण का निवास
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    यहां मंदिर की मूर्ति में नहीं बल्कि पावन ग्रंथ में है श्री कृष्ण का निवास

    मध्य प्रदेश के इंदौर में एक ऐसा मंदिर स्थित है जहां हिंदू धर्म के किसी देवी-देवता की मूर्तियां नहीं है। बल्कि इस अनोखे मंदिर में भक्त ग्रंथ और मुकुट की पूजा करते हैं।
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    यहां मंदिर की मूर्ति में नहीं बल्कि पावन ग्रंथ में है श्री कृष्ण का निवास

    इतना ही नहीं मंदिर से जुड़ी लोक मान्यता के अनुसार यहां पूजा करने से सभी तरह की मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। बता दें इंदौर शहर के गौराकुंड चौराहे के ठीक पहले प्रणामी संप्रदाय का ये प्राचीन राधा-कृष्ण मंदिर है।
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    यहां मंदिर की मूर्ति में नहीं बल्कि पावन ग्रंथ में है श्री कृष्ण का निवास

    मंदिर में दाखिल होते ही सामने चार मूर्तियां स्थापित प्रतीत होती है परंतु असल में वो मूर्तियां नहीं है बल्कि ग्रंथ और मोर मुकुट है।
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    बताया जाता है मंदिर में चांदी के सिंहासन पर 400 साल पुराने श्रीकृष्ण स्वरूप ग्रंथ स्थापित है। ग्रंथों को मोर मुकुट के साथ-साथ राधा-कृष्ण जैसी पोशाक भी पहनाई जाती है। श्रृंगार के बाद ग्रंथ राधा-कृष्ण की खूबसूरत प्रतिमा जैसा ही प्रतीत होता है।
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    प्रचलित कथाओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण होलकर राजघराने में पंच रहे मांगीलाल भंडारी ने करवाया था। प्रणामी संप्रदाय के गुरु प्राणनाथ ने जब ग्रंथों का अध्ययन किया तो उन्होंने समझा कि मूर्तियों की तरह ही ग्रंथ भी प्रभावशाली होते हैं।
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    यहां मंदिर की मूर्ति में नहीं बल्कि पावन ग्रंथ में है श्री कृष्ण का निवास

    तब से ही यहां पर ग्रंथों की पूजा की जाने लगी। जन्माष्टमी  के खास अवसर इस पावन की ग्रंथ की ठीक वैसे ही पूजा होती है जैसे श्रीकृष्ण की पूजा होती है।
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    यहां मंदिर की मूर्ति में नहीं बल्कि पावन ग्रंथ में है श्री कृष्ण का निवास

    यहां पांच बार ग्रंथ की पूजा की जाती है। यही नहीं, ग्रंथों को झूला भी झुलाया जाता है। प्रणामी संप्रदाय के अलावा अन्य समुदायक के लोग भी बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं।
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    इस मंदिर में जन्माष्टमी पर विशेष आयोजन व पूजा-अर्चना की जाती है पान का भोग लगाया जाता है।