यहां रात में तुलसी के पौधे ले लेते हैं गोपियों का रूप, श्री कृष्ण संग होता है रास
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    यहां रात में तुलसी के पौधे ले लेते हैं गोपियों का रूप, श्री कृष्ण संग होता है रास

    आज हम आपको निधिवन नहीं यहां के स्थित एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जो अद्भुत तो है ही, साथ ही साथ निधिवन की तरह ही चमत्कारों से भरपूर है। जिसका सबसे बड़ा सबूत है इस मंदिर के कपाट, जो खुद खुलते और बंद होते हैं।
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    यहां रात में तुलसी के पौधे ले लेते हैं गोपियों का रूप, श्री कृष्ण संग होता है रास

    इसके पीछे की मान्यताओं के अनुसार यहां श्री कृष्ण आज भी रोज़ाना शयन करने आते हैं। जिस कारण मंदिर में हर रोज़ बिस्तर लगाया जाता है।
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    यहां रात में तुलसी के पौधे ले लेते हैं गोपियों का रूप, श्री कृष्ण संग होता है रास

    मंदिर के पुजारियों का कहना है, मंदिर में भगवान श्री कृष्ण रोज़ाना शयन के लिए आते हैं। इनके अनुसार यहां प्रतिदिन भगवान श्री कृष्ण के लिए साफ़-सुथरे बिस्तर लगाए जाते हैं।
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    परंतु सुबह बिस्तर में सलवटें पड़ी होती है जो इस बात का प्रमाण है कि यहां श्री कृष्ण शयन के लिए आते हैं।
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    श्री कृष्ण के समस्त मंदिरों की तरह इस मंदिर में हर दिन कृष्ण जी को माखन-मिश्री का भोग लगाया जाता है और बांटा जाता है। इसके बाद जो प्रसाद बचता है उसे मंदिर में ही रख दिया जाता है।
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    परंतु पुजारियों का कहना है कि बचा हुआ प्रसाद सुबह तक खत्म हो जाता है। इनका मानना है कि ये प्रसाग स्वयं श्री कृष्ण आकर खा लेते हैं।
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    यहां की प्रचलित मान्यताओं के अनुसार मंदिर परिसर में तुलसी के दो पौधे हैं जो रात के समय राधा की गोपियां बन जाती हैं और उनके साथ नृत्य करते हैं। यही कारण है इस तुलसी का पत्ता भी कोई नहीं ले जाता।