यहां होली खेलने की है खास परंपरा, नहीं जानते होंगे आप
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    यहां होली खेलने की है खास परंपरा, नहीं जानते होंगे आप

    होली पर एक-दूसरे को रंग लगाने के साथ-साथ और भी बहुत कुछ करने की मान्यता है। हम बात कर रहे हैं बरसाने की लठमार होली की।
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    फाल्‍गुन की नवमी को महिलाओं के हाथ में लट्ठ रहता है और नन्दगांव के पुरुषों (गोप) जो राधा रानी के मंदिर लाड़लीजी पर झंडा फहराने की कोशिश करते हैं, उन्हें महिलाओं के लट्ठ से बचना होता है।
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    यहां के लोक मान्यता के अनुसार इस दिन यहां की सभी महिलाओं में राधा रानी की आत्मा बसती है।
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    पुरुष उनसे हंस-हंस कर लाठियां खाते हैं। आपसी वार्तालाप (महिला-पुरुष के बीच का वार्तालाप) के लिए होरी गाई जाती है, जो श्रीकृष्ण और राधा के बीच होने वाले वार्तालाप पर आधारित है।
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    महिलाएं पुरुषों को लट्ठ मारती हैं, जिसका गोपों को प्रतिरोध करने की इजाजत नहीं होती।
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    पुरुष महिलाओं को गुलाल छिड़क कर उन्हें रंगते हैं। अगर वे पकड़े जाते हैं तो उनकी जमकर पिटाई होती है।
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    पौराणिक कथाओं के अनुसार बरसाना की गोपियों ने श्रीकृष्ण को यहां नचाया था।