ये है राजा कर्ण की नगरी, जहां की मिट्टी उगलती है सोना, उपेक्षा का शिकार हो रही यहां की धरोधर
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    ये है राजा कर्ण की नगरी, जहां की मिट्टी उगलती है सोना, उपेक्षा का शिकार हो रही यहां की धरोधर

    आज हम बात कर रहे कटनी के बिलहरी नामक गांव के बारे में जो प्राचीन समय में पुष्वावती राजा कर्ण की नगरी के नाम ले विख्यात था परंतु अपनी संपन्नता और समृद्धि के चलते इसी ख्याति दूर-दूर के राज्यों में भी फैली हुई थी।
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    बताया जाता है जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर स्थित पुष्पावती नगरी के उत्थान के दौर में यहां अनेकों राजप्रसादों, किलों, तालाबों, मठों व मंदिरों का निर्माण कराया गया था जो इसके राजसी वैभव व सियासती शान-ए-शौकत का प्रतीक थे।
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    कालांतर में बुतशिकनों यानि मूर्तिभंजक मुस्लिम आक्रमणकारियों के दौर में पुष्पावती नगरी के शासक अपने राज्य की रक्षा नहीं कर सके लिहाजा निर्दयी आक्रांताओं ने यहां के मठों, मंदिरों व अन्य कलाकृतियों को क्षतिग्रस्त कर काफी नुकसान पहुंचाया।
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    इसके बाद भी उनके भग्रावशेष व किसी तरह नष्ट होने से बची रही। यहां के अन्य धरोहर आज भी लोगों को पुष्पावती के गौरवशाली साम्राज्य की याद करवाती हैं।
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    बिलहरी में प्रवेश करते ही एक बड़ा तालाब है जिसके एक तरफ मंदिर हैं, वही एक तरफ पान के खेत।
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    इस तालाब का निर्माण कल्चुरी राजा लक्ष्मणराज ने लगभग 945 ईस्वी में करवाया था।
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    तालाब अपनी विशालता के साथ-साथ सिंघाडें और घटनाओं के लिए प्रसिद्ध है।
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    पुरातन मान्यताओं के अनुसार इस तालाब की गहराई में अथाह सोना है, एक सोने की नथ पहनी हुई मछली है और तालाब के बीचों बीच एक मंदिर भी है जो किसी साल तालाब में पानी कम होने के बाद दिखाई देता है।