रामनवमी: इस पावन भूमि की सुंदरता को देखकर सीताराम भी हो गए थे मंत्रमुग्ध
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    रामनवमी: इस पावन भूमि की सुंदरता को देखकर सीताराम भी हो गए थे मंत्रमुग्ध

    चित्रकूट की पावन भूमि पर भगवान राम साढ़े ग्यारह वर्षों तक रहे।
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    रामनवमी: इस पावन भूमि की सुंदरता को देखकर सीताराम भी हो गए थे मंत्रमुग्ध

    भारत का चित्रकूट भी एक ऐसा स्थान है जिसकी रज-रज भगवान की दिव्य सत्ता से ओत-प्रोत है।
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    गोस्वामी तुलसीदास भी लम्बे अर्से तक चित्रकूट में रहे थे। वहां उन्होंने कुटिया बनाकर बहुत समय तक श्रीराम की कथा का वाचन किया था।
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    पदम् पुराण, स्कन्द पुराण, मेघदूत, आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया भी चित्रकूट का वर्णन करते हुए नहीं थकते।
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    भगवान राम, सीता, लक्ष्मण को चित्रकूट का परिवेश इतना अच्छा लगा कि वे वहीं पर बस गए।
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    भगवान वाल्मीकि तथा गोस्वामी तुलसीदास ने चित्रकूट के प्राकृतिक सौंदर्य का श्रीराम जी व सीता जी के शब्दों में वर्णन किया है, वह साहित्यिक दृष्टि से अतुलनीय है।
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    रामनवमी: इस पावन भूमि की सुंदरता को देखकर सीताराम भी हो गए थे मंत्रमुग्ध

    चित्रकूट, प्राकृतिक संपदा से भरपूर है। ऊंचे-ऊंचे शैल शिखर, हरे-भरे पेड़-पौधे, विभिन्न तरह के फलों की खुशबू, मखमली चादर ओढ़े हरित भूमि, ये सब हर किसी को अपनी ओर आकृष्ट करते हैं।
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    कर्क रेखा के निकट होने के कारण चित्रकूट का मौसम परिवर्तित होता रहता है।