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विजदशमी: इन गांवों में दशहरे की खुशी नहीं, मनाया जाता है रावण का शोक
मध्यप्रदेश के विदिशा के पास नटेरन नामक गांव में रावण दहन पर शोक मनाया जाता है। कहा जाता है कि यह गांव रावण की पटरानी मंदोदरी का गांव था।
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विजदशमी: इन गांवों में दशहरे की खुशी नहीं, मनाया जाता है रावण का शोक
इसलिए यह गांव रावण को दामाद मानता है। ऐसे में वे विजयदशमी के दिन रावण की बरसी मनाते हैं। साथ ही उनकी पूजा करके झांकी सजाते हैं।
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कानपुर जिले के शिवाला में दशानन मंदिर है। कहा जाता है कि यह मंदिर विजयदशमी पर यानि साल में सिर्फ एक बार ही खुलता है। इस खास पर्व पर मंदिरों को फूलों से खूब सजाया जाता है।
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विजदशमी: इन गांवों में दशहरे की खुशी नहीं, मनाया जाता है रावण का शोक
रावण की मूर्ति को दूध से नहलाने की प्रथा है। उसके बाद भक्त रावण की पूजा करके सरसों तेल के दीपक जलाते हैं। दशहरा पर्व पर मंदिर के द्वार रावण दहन से पहले ही बंद कर दिए जाते हैं।
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राजस्थान के जोधपुर जिले में मंदोदरी नामक एक स्थान है। पौराणिक कथाओं अनुसार, इसी जगह पर रावण और मंदोदरी का विवाह हुआ था।
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इसके साथ ही यहां के चांदपोल स्थान पर रावण मंदिर भी स्थापित है। बता दें, रावण और मंदोदरी के विवाह स्थल पर चवरी नाम की एक छतरी भी है।
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कर्नाटक के मंडया जिले में भी दशहरे पर्व पर रावण की पूजा होती है। यहां के माललवी इलाके में रावण मंदिर है। इसके साथ ही कर्नाटक के कोलार जिले में भी रावण दहन नहीं किया जाता है।
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यहां के लोगों का मानना है कि दशानन महान शिव भक्त था इसलिए रावण दहन नहीं बल्कि उसकी भी पूजा होनी चाहिए।
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जैसे की सभी जानते हैं कि रावण को कई सिद्धियां प्राप्त थी। ऐसे में आंध्रप्रदेश के काकिनाड इलाके में एक रावण मंदिर स्थापित है।
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बता दें, इस मंदिर में रामभक्त भी दर्शन करने आते हैं। यहां पर रावण को शक्तिसम्राट माना जाता है।