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वैकुंठ चतुर्दशी पर उज्जैन के गोपाल मंदिर पर हुआ हरि का हर से मिलन
कार्तिक शुक्ल की वैकुंठ चतुर्दशी पर शनिवार को ठीक रात 12 बजे हुए हरि से हर का मिलन, रात 11 बजे बाबा महाकाल पालकी में सवार होकर लाव लश्कर के साथ भगवान विष्णु 'हरि' से मिलने गोपाल मंदिर पहुंचे।
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वैकुंठ चतुर्दशी पर उज्जैन के गोपाल मंदिर पर हुआ हरि का हर से मिलन
इस बार कोरोना संक्रमण के कारण प्रशासन ने आयोजन सादगी से करवाने का निर्णय लिया सवारी में केवल पुजारी, पालकी उठाने वाले कहार और ड्यूटी पर तैनात अधिकारी कर्मचारी ही शामिल हो सके।
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वैकुंठ चतुर्दशी पर उज्जैन के गोपाल मंदिर पर हुआ हरि का हर से मिलन
प्रशासन ने महाकाल मंदिर से गोपाल मंदिर तक सवारी मार्ग को बैरिकेड से बंद कर दिया। इसके साथ ही आम आदमी को महाकाल की सवारी में आने पर भी प्रतिबंध लगाया था।
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वैकुंठ चतुर्दशी पर उज्जैन के गोपाल मंदिर पर हुआ हरि का हर से मिलन
दरअसल सदियों से चली आ रही परंपरा का इस वर्ष भी विधि पूर्वक निर्वहन किया गया, हर वर्ष वैकुंठ चतुर्दशी पर राजाधिराज ठीक रात 11 बजे मंदिर प्रांगण से शासकीय पूजन पाठ के बाद श्री कृष्ण (विष्णु) के धाम गोपाल मंदिर पहुंचे, जहां दोनों देवताओं का मिलन हुआ और करीब 1 घण्टे तक विधि विधान से पूजन हुआ।
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वैकुंठ चतुर्दशी पर उज्जैन के गोपाल मंदिर पर हुआ हरि का हर से मिलन
भगवान महाकाल की ओर से गोपाल जी को बिल्व पत्र की माला अर्पित की गई, वहीं गोपाल जी की ओर से महाकाल को तुलसी की माला पहनाई गई जिसे हरि से हर के मिलन के रूप में देखा जाता है।
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वैकुंठ चतुर्दशी पर उज्जैन के गोपाल मंदिर पर हुआ हरि का हर से मिलन
इस दौरान पुजारियों और श्रद्धालुओं की संख्या भी बेहद सीमित रखी गई। पूरे मार्ग में भारी पुलिस बल तैनात रहा। मार्ग को छावनी में तब्दील कर दिया गया था। हालाकि कुछ जगहों पर सवारी जरूर रूकी।
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वैकुंठ चतुर्दशी पर उज्जैन के गोपाल मंदिर पर हुआ हरि का हर से मिलन
जिसके बाद पालकी में सवार राजाधिराज महाकाल समय पर गोपाल मंदिर पहुंचे। सवारी के गोपाल मंदिर पहुंचने पर परंपरा अनुसार दोनों मंदिर के पुजारियों ने मध्यरात्रि में हरि हर मिलन कराया।
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वैकुंठ चतुर्दशी पर उज्जैन के गोपाल मंदिर पर हुआ हरि का हर से मिलन
श्रद्धालुओं को कहना था हर वर्ष पालकी के दर्शन हम सब पास से ही करते है लेकिन इस वर्ष प्रशासन ने चेनल पर ताले लगवा दिए है। पुलिस ने सख्ती कर किसी को भी बाहर नही निकलने दिया।