शिरडी में झलकता है साईं बाबा का नूर
  • >X

    शिरडी में झलकता है साईं बाबा का नूर

    बाबा एक अवतार रूपी संत के रूप में आज विश्व भर में पूजे जाते हैं। विश्व भर में उनके करोड़ों  अनुयायी हैं। बाबा का समूचा जीवन ही मानवता की भलाई को  समर्पित रहा। वह जीव-जंतुओं से विशेष स्नेह रखते थे।
  • <>X

    शिरडी में झलकता है साईं बाबा का नूर

    उनके जीवन का एक ही मकसद रहा कि सभी जातियों को स मान मिले। किसी के साथ कोई भेदभाव न हो।
  • <>X

    शिरडी में झलकता है साईं बाबा का नूर

    तप- शिरडी आने से पहले बाबा ने 16 वर्ष एक दिव्य तेज रूप बालक के अवतार में गुरु स्थान पर तप किया।
  • <>X

    शिरडी में झलकता है साईं बाबा का नूर

    उसका स्वरूप था शिरडी के मन्दिर में उपस्थित गुरु स्थान पर नीम के पेड़ के नीचे पाए जाने वाले जगते हुए चार दीए जो आज भी शिरडी के हर एक विशेष स्थान पर प्रस्तुत हैं।
  • <>X

    शिरडी में झलकता है साईं बाबा का नूर

    माना जाता है कि बाबा के परिश्रम से उस नीम के पेड़ के पत्ते मीठे और इतने ताकत से परिपूर्ण हैं कि श्रद्धालु दूर-दूर से उस पेड़ का एक पत्ता ग्रहण करने के लिए आते हैं।
  • <>X

    शिरडी में झलकता है साईं बाबा का नूर

    बाबा का खंडोवा मन्दिर आना- बाबा एक बारात के साथ शिरडी पहुंचते हैं और मानो तो शिरडी को स्वर्ग बनाना ही बाबा का मकसद रहा। खंडोबा मन्दिर के पंडित महालसापति ने एक रात पहले स्वप्न में देखा कि खंडोबा बाबा जो महादेव का रूप है।
  • <X

    शिरडी में झलकता है साईं बाबा का नूर

    उन्हें स्वप्न में कहते हैं कि दिव्य बालक के आते ही आओ साईं, कह कर उनका स्वागत किया जाए। जैसे ही बाबा खंडोबा मन्दिर में चरण रखते हैं तो महालसापति आओ साईं कह कर उन्हें साईं नाम देते हैं।