श्रावण में सुनसान पड़ा ह देवघर बाबा बैद्यनाथ मंदिर, टूटी सदियों पुरानी पंरपरा
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    श्रावण में सुनसान पड़ा ह देवघर बाबा बैद्यनाथ मंदिर, टूटी सदियों पुरानी पंरपरा

    इससे पहले हमने आपको अपनी 1 खबर के माध्यम से बताया कि उज्जैन के महाकाल मंदिर में श्रावण मास के दूसरे सोमवार के दिन पर विधिवत पूजा की जा रही। 12 ज्योर्तिलिंग में से प्रमुख माने जाने वाला बाबा महाकाल के इस ज्योर्तिलिंग के दर्शन करने लोग दूर-दूर से आते हैं।
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    परंतु वहीं भगवान शंकर का एक ऐसा भी मंदिर है जो कोरोना के कारण वीरान पड़ा। बता दें झारखंड के सुल्तानगंज से 105 कि.मी दूर बाबा बैद्यनाथ स्थित है।
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    यहां कोरोना की वजह से लॉकडाऊन और गंगाघाट के साथ-साथ बाबा बैद्यनाथ मंदिर पर भी पुलिस का पहरा है और बंद है। बताया जा रहा  है कि 4 अगस्त तक यानि सावन का पूरा माह ये मंदिर पूजा आदि के लिए बंद रहने वाला है, ये फैसला है।
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    खबरों की मानें तो यहां कोरोना ने पंडा समाज के कई लोगों को भी अपनी चपेट में ले लिया है। जिस कारण बाबा बैद्यनाथ की पूजा करने के लिए पंडा पुजारियों की संख्या भी सीमित कर दी है। मंदिर में होने वाली रोज़ाना की पूजा के बाद मंदिर में लगा  दिया जाता है।
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    पंडा समाज के सदस्य शोभन नरोने बताते हैं यहां आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ, सैकड़ों साल में ये पहला मौका है कि मंदिर के कपाट सावन में बंद है। मान्यताओं के अनुसार ये ज्योर्तिलिंग 12 ज्योर्तिलिंग में से द्वादश माना जाता है।
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    जिस कारण इसके प्रति यानि बाबा बैद्यनाथ के लिए लोगों की अटूट आस्था है। प्रत्येक वर्ष यहां सावन के दौरान कांवड़ियों का मेला लगता है, जो पूरा 1 माह तक चलता है।
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    परंतु वैश्विक महामारी कोरोना के चलते इस बार इन सभी धार्मिक आयोजन पर रोक लगा दी गई है, जिससे लाखों श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत हुई और वो निराशा का शिकार हो गए हैं।
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    बहरहाल, कोरोना के खौफ़ के कारण श्रावणी मेला का आयोजन न होने से सब कुछ सूना-सूना सा लग रहा है, तो वहीं सदियों पुरानी परंपरा टूटने के कारण हज़ारों लोगों को आर्थिक चोट भी सहने को मज़बूर होना पड़ा है।
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    क्योंकि शायद इससे पहले ऐसा न सुना गया, न देखा गया और न पढ़ा गया। सामाजिक सेवकों का मानना है कि इस बार बाबा का जलाभिषेक श्रद्धालुओं द्वारा न होना एक नकारात्मक अध्याय जुड़ गया है।